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वार्षिक प्रतिवेदन
(2021)
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समाचार पत्रिका
जनवरी से जून, 2021
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अनुसंधान उपलब्धियाँ
1. मत्स्य संसाधन एवं प्रबंधन
देश मे शीतजलीय संसाधनों मे नदियाँ, उच्च और निम्न ऊँचाई पर प्राकृतिक झीलों तथा जलाशयजिनमे देशी और विदेशी मछलियाँ पायी जाती है। दुरगमता के कारण संसाधनों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है जो की संसाधनों के प्रबंधन के लिए आवश्यक है। अत: इन जांकरियों को अपडेट करना एक चुनौती है। जलीय कृषि के लिए उपयुक्त स्थल मापदंड का वेटेज विश्लेषणात्मक श्रेणीबद्ध प्रक्रिया के माध्यम से विश्लेषण किया गया और मानचित्र बनाए गए। जिसमे पानी की गुणवत्ता और मिट्टी की गुणवत्ता और बुनियादी सुविधा आदि इसके आधार हैं। भौगिलिक सूचना तंत्र आधारित मत्स्य पालन प्रबंधन योजना बनाने के लिए संसाधन सूची की आवश्यकता बहुत महत्वपूर्ण है।
 
Aquaculture suitability map for East and West Sikkim district
2. जल कृषि
मध्य पर्वतीय क्षेत्रों मे पालीटैक में कार्प समन्वित पालन
मध्य पर्वतीय क्षेत्रों मे मिट्टी के तालाब मछली पालन के लिए उपयोग किए जाते है। इन टैंकों मे पानी की कमी तथा कम तापमान उत्पादन में बड़ी अड़चन है। इसलिए पहाड़ी क्षेत्रों में पॉलिथीन शीट (LDPE) तालाब बड़े उपयुक्त पाये गए। पालीटैंक मे सर्दियों के दौरान अपेक्षाकृत पानी का तापमान उच्च रहता है जिससे प्राकृतिक भोजन भी भरपूर मात्र मे हो जाता है। परिणामस्वरूप मछली का उत्पादन बढ़ जाता है। यह तालाब जीविकोपार्जन मे फायदेमंद सिद्ध हुये हैं।
लेबियो डायोचिलुस और लेबियो डेरो की कृत्रिम प्रजनन
लेबियो डायोचिलुस (मैक्सलेलैंड) और लेबियो डेरो (हैमिल्टन, 1822) हिमालय मे 400-800M की ऊंचाई पर नदियों में पाई जाने वाली महत्वपूर्ण स्वदेशी शीतजल की मछली प्रजातियाँ है। शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल द्वारा इन दोनों प्रजातियों का प्रजनन और बीज उत्पादन तकनीक द्वारा विकसित की गयी है। प्रजनन और बीज उत्पादन मे 18° लेकर 22°C पानी का तापमान उपयुक्त पाया। क्रत्रिम प्रजनन प्रजनन तकनीक शीतजल मात्स्यिकी के प्रजातियों के विविधीकरण के लिए आवशयक है।
चगुनियस चगुनीओ का कृत्रिम प्रजनन
चगुनियस चगुनीओ, आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण स्वदेशी मछली है जो हिमालय की निचली पहाड़ियों, ब्रह्मपुत्र और गंगा क्षेत्र में पायी जाती है। चगुनियस चगुनीओ साइपरिनिडी कुल के अंतर्गत आता है और सामान्यतः यह चगुनी के रूप में जानी जाती है तथा कुमाऊं हिमालय क्षेत्र में इसे चिप्पन कहते है। यह सजावटी मछली के रूप मे बड़ी आवश्यक प्रजाति है। बाजार मे इसका मूली 300 / किलो से बिही ज्यादा है। इस माइनर कार्प की सफलतापूर्वक कैप्टिव प्रजनन प्रोटोकॉल और प्रजनन बीज उत्पादन तकनीक विकसित की गयी।
   
बरेलियस बेंडेलिसिस का कृत्रिम प्रजनन
पहाड़ी ट्राउट अथवा बरेलियस बेंडेलिसिस, महत्वपूर्ण स्वदेशी सजावटी मछली है जो हिमालय की निचली पहाड़ियों, ब्रह्मपुत्र और गंगा क्षेत्र में पायी जाती है। प्राकृतिक और मानव जनित बाधाए, अतिशोषण, मछली के निवास के विनाश; भविष्य में इस प्रजाति के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। आईयूसीएन रेड सूची 2012 के अनुसार हालाँकि यह मछली कम चिंता के रूप में वर्गीकृत की गयी है। इस मछ्ली का प्रजनन और बीज उत्पादन पहली बार सफलतापूर्वक निर्धारित किया गया है जिससे भविष्य मे इसे प्राकर्तिक रूप से संचित कर इसका संरक्षण किया जा सके।
पिंजरों में सुनहरी माहसीर पालन
प्राकृतिक झीलों मे सुनहरी माहसीर की आबादी निरंतर कम हो रही है जो एक चिंता का विषय है। पिंजरों में सुनहरी माहसीर के बीज को बड़ा करके उसे प्राकृतिक झीलों मे डालने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और उनकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है। यह प्रयोग भीमताल झील मे विकसित किया गया है।
सिक्किम में रेनबो ट्राउट; ओंकोरहिन्कस माईकिस पालन को प्रोत्साहन
निदेशालय द्वारा ट्राउट सिक्किम मे ट्राउट पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की गई है। जिसके फलस्वरूप राज्य मे सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र मे 220 रेसवे हो गए है जिनसे 110 टन का उत्पादन हासिल किया है। उत्पादन का अधिकांश घरों में और कुछ उच्च स्तर के होटल में स्थानीय रूप से सेवन किया जाता है। ट्राउट पालन मध्य एवं उच्च क्षेत्रों में स्थानीय आबादी के लिए एक व्यवहार्य आजीविका विकल्प है क्योकि बाजार मे इसकी काफी मांग है। रेनबो ट्राउट के स्वस्थ प्रजनक स्टॉक उत्तरे स्थित राज्य ट्राउट फार्म पर बनाया है जिससे प्रतिवर्ष 5 लाख आंखों अंडाणु से 3 लाख उन्नत फिंगरलिंग्स का उत्पादन किया गया है।
शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल के वैज्ञानिकों ने लकड़ी का एक स्टैंड डिजाइन किया है जो प्रजनन क्रिया मे अति सहायक और आसान है, इस डिवाइस व्यावहारिक रूप से किसानों को प्रदर्शन किया गया। निदेशालय ने आदिवासी परियोजना के तहत पश्चिम सिक्किम के उपर रिमबी क्षेत्र मे प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त 6 किसान परिवाऋ को रेसवे नवीकरण, ट्राउट बीज संग्रहण और ट्राउट फ़ीड के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की गयी।
   
लेह लद्दाख क्षेत्र मे ट्राउट पालन को प्रोत्साहन
भारत सरकार ने लेह लद्दाख को विषम जलवायु परिस्थितियों के कारण आदिवासी क्षेत्र घोषित किया है जहाँ कृषि के कम अवसर है परंतु ट्राउट पालन को जीविकोपार्जन के रूप मे आसानी से लघु स्तर के उद्योगों के रूप में अपनाया जा सकता है। निदेशालय ने आदिवासी परियोजना के तहत पहली बार लेह लद्दाख क्षेत्र मे ट्राउट पालन की शुरुआत की और दो साल मे छुचोत शममा गाव मे 13 ट्राउट रेसवे का निर्माण कराया।
3. मछली पोषण और खाध्य विकास
माहशीर लार्वा को खिलाने के लिए सफल क्लोरेला प्लवक और रोटिफर उत्पादन का प्रोटोकॉल विकसित किए गए।
सुनहरी माहसीर लार्वा के लिए माइक्रोकप्सुलेटिड आहार के लिए प्रोटोकॉल की स्थापना की
और इस प्रोटोकॉल के आधार पर माइक्रोकप्सुलेटिड आहार "नन्हे माहसीर" फीड का विकास किया जिसका माहसीर लार्वा पर सफल मूल्यांकन किया गया।
ट्राउट के लिए सस्ते फीड विकास पर कार्य जारी है।
4. मत्स्य स्वास्थ्य प्रबंधन
चंपावत (उत्तराखंड), Dachigaon, कोकरनाग (जम्मू-कश्मीर), कुल्लू व जोगिन्द्रनगर (हिमाचल प्रदेश) क्षेत्रों मे रोगजनक बैक्टीरिया की प्रोफ़ाइल तैयार की गयी।
मुख्यत: ट्राउट रेसवे मे  Aeromonas hydrophila RTK 08 (KC 603616) , RTMCX 1 (JX 390650) , RTG 33 KC 603615) , Aeromonas Allo saccharophila RTGT 19 (KC 603617) , RTKKO 1 (KC 816585) , Aeromonas veronii (A ichthiosmia) RTCE 02 (KC 582608) , RTGBCX 2 (JX 390651) , RTGBCX 2 JX 390651.1 , Aeromonas sobria RTSKO 3 (KC 816586) , Aeromonas popoffii RTGL 26 को अवसरवादी रोगज़नक़ के रूप में माना जाता है।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से प्राप्त रेनबो ट्राउट की  आंत में सूजन और गुदा द्वार की सूजन तथा रक्तस्राव के लिए  Lactococcusgarvieae के चार स्ट्रेन; के एम 604,701, के.एम. 604,702, के.एम. 604,703 और 604,704 के.एम की पहचान की।  
जोगिन्द्रनगर, हिमाचल प्रदेश से रेनबो ट्राउट की  रोगग्रस्त आंख (कार्निया अस्पष्टता ) से प्राप्त बैकटेरिया Enterococci की निम्नलिखित एंटीबायोटिक जैसे Nalidixic एसिड (Na 30) , ketoconazole (Kt 10) , Clindamycin (CD 2) , Lincomycin (एल 2) , Cephalexin (Cp 30) polymyxin बी (Pb 50) , Amphotericin बी (AP 100) , Ceftazidine -Ca 30 / 10 , Cloxacillin CX 5, Metronidazole (MT 5) , fluconazole (Fu 10) , fluconazole (Fu 25) , Amphotericin बी (AP 20) , itraconazole (It 10) , oxacillin (Ox 5 ) , Sulphamethoxypyridazine 36 (St 300) , Methicillin (Met 10) जीवाणुरोधी संवेदनशीलता परीक्षण किया।
सुनहरी माहसीर की आँख मे पिगमेंट के लिए स्यूडोमोनास koreensis, TPEB 02 , (JX 390644) जिम्मेवार है।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से ठंडे पानी की मछली की प्रजातियों में से वायरल रोगों की घटनाओं की जांच की जा रही है।
5. शीतजल मत्सियिकी मोलिकुलर जेनेटिक्स
1. माइट्रोकोन्ड्रियल डीएनए सिकुएंस
Table: Mitochondrial DNA sequences
Species Cyt b ATPase6/8 COI COII 16 SrRNA
Tor putitora 170 161 6 10
Tor khudree 4
Tor chelynoides 4
Neolissochilus hexagonolepis 5
Schizothorax richardsonii 47 25 22 25 10
Schizothorax progastus 5 5 5 5
Schizopyge niger 3 5 5 5
Schizothorax esocinus 4 5 5 5
Barilius bendelisis 15 6
Garra gotyla 8
Acanthocobitis  botia 2
Schistura obliquofascia 5
Schistura rupecula 7
Glossogobius gutum 6
Glossogobius giuris 4
Glossogobius spp.     6    
2. शीतजल मछली प्रजातियों की पूर्ण माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम संगठन
जीनस शीजोथोरस (स्नो ट्राउट) और टोर (Mahseer) प्रजातियों की पूरी माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम पहली बार के लिए निर्धारित किया गया इस अध्ययन से स्थानिक शीतजल मछली प्रजातियों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए तर्क प्रदान करेगा।
 

Species

Genome Size (bp)

GenBank
Accession number

Protein coding genes

tRNA

rRNA

A + T content

G + C content

Schizothorax richardsonii

16,592

KC790369

13

22

2

55.4%

44.6%

S. labiatus

16,582 

KF739398

13

22

2

55.3%

44.7%

S. progastus

16,575

KF739399

13

22

2

55.2%

44.8%

S. esocinus

16,583 

KF600713

13

22

2

55.2%

44.8%

S. plagiostomus

16,576 

KF928796

13

22

2

55.8%

44.2%

Schizopyge niger

16,585

NC_022866

13

22

2

55.2%

44.8%

Tor putitora

16,576

KC914620

13

22

2

56.9%

43.1%

Species Characterization
  Mitochondrial Genome organization of Tor putitora
3. माइक्रो सेटेलाइट मारकर का विकास
महत्वपूर्ण शीतजल मछली प्रजातियों के माइक्रोसेटेलाइट मार्कर विकसित किया गया। मार्कर की सहायता से गुणवत्ता युक्त प्रजनक चयन कार्यक्रम को कार्यान्वयन किया जा सकता है।

Species

No. of Markers developed

GenBank
Accession number

Schizothorax richardsonii

51
26 (ESTs SSR)

HM591233-HM591283
JK087- 411, 471, 486, 532, 553, 716, 738, 740, 763, 886, 902, 903, 992, JK088032, 043, 048, 052, 064, 073, 103, 106, 195, 201, 219, 319, 390

Schizopyge niger

12

KC339275-KC339286)

Garra gotyla

52

HQ288484-HQ288526 & JF268657-JF268665

Tor putitora

22
34 (EST SSR)

JX270775-JX270794

Schistura sikmaiensis

36

KJ545923-KJ545958

Neolissocheilus hexagonolepis

12

validation in process

4. स्नो ट्राउट की सीडीएनए से ईएसटी मारकर का विकास
स्नो ट्राउट (Schizothorax richardsonii) पूर्वोत्तर हिमालय क्षेत्र में एक आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मछली है और इस प्रजाति पर जीनोमिक अनुसंधान अपनी प्रारंभिक अवस्था में है।इस अध्ययन का उद्देश्य एक मस्तिष्क से व्यक्त अनुक्रम टैग (ESTs) उत्पन्न पूरक सीडीएनए लाइब्रेरी न का निर्माण तथा जीनों की पहचान करने के लिए किया गया। कुल 1031 ESTs की पहचान की गई जिनमे 73 contigs और 411 अनुक्रम थे।

बम विस्फोट अनुरूपता विश्लेषण मे इन ESTs का कुल 90.7% नॉवेल जिन थे जबकि शेष 9.3% ज्ञात जीन की homologues थे। अनुक्रम समानता के आधार पर, 45 ज्ञात जीन प्रोटीन, एंजाइम और कोडिंग के संकेत थे।
Table: ESTs from cDNA of Schizothorax richardsonii

Description

Number

Total cDNAs Sequenced

1031

Total analysed cDNAs

1023

Average EST size (bp after trimming)

442

Total number of Unigenes

484

Number of Contigs

73

Number of orphan sequences (Singletons)

411

Unigenes with known gene match n(%)

45 (9.3%)

Unigenes with no match, n (%)

439 (90.7%)

  Neolissocheilus hexagonolepis
1. उत्तराखंड, भारत से एक नयी लोच प्रजाति (Schistura obliquofascia) की पहचान
2. माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (mtDNA) का उपयोग से प्रजाति वर्णन
  • mtDNA के मार्करों (Cytb, ATPase 6/8 , साइटोक्रोम oxidase I, साइटोक्रोम oxidase II और 16 SrRNA ) का उपयोग कर प्रजाति वर्णन किया।
  • टोर पुटीटोरा, टोर टोर, टोर खुदरी, टोर चिलिनोइड एवं एन0 हेक्सागोनोलेपिस
  • चार शीतजल  प्रजातियों (जी गोटिएला, बी बेंड़ेलिसिस, एस रिचर्डसोनी और टोर पुटीटोरा
  • जीनस शाइजोथोरक्स (एस रिचर्डसोनी, एस इसोसीनस, एस नाइजर, एस प्रोगाशटस, एस प्लेजिस्टोमिस
2. माइटोकॉन्ड्रियल जीन और माइक्रोसेटेलाइट
माइटोकॉन्ड्रियल जीन और माइक्रोसेटेलाइट मार्कर उपयोग करके विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों से शीतजल मछली प्रजातियों की आबादी के बीच वंशावली संबंधों और आनुवंशिक भेदभाव का अध्ययन गया।

Species

Type of Molecular marker

MtDNA  genes

Microsatellite

Tor putitora

 Cyt b (1140 bp) and ATPase6/8 (842 bp)

Cross species amplification through 13 microsatellite primer.

Schizothorax richardsonii

Cyt b (1140 bp) , ATPase6/8 (842 bp), COI (847 bp) and COII (560 bp)

28 developed
Microsatellite marker.

Barilius bendelisis

Cyt b (307 bp)

Cross species amplification through 13 microsatellite primer.

3. रेनबो ट्राउट प्रजाति की बिभिन्न आबादियों के बीच वंशावली संबंधों और आनुवंशिक भेदभाव का अध्ययन
भारत में रेनबो ट्राउट प्रजाति ठंडे पानी क्षेत्रों महत्वपूर्ण मछ्ली है    विभिन्न आबादियों का आनुवंशिक मूल्यांकन किया गया। इसमे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर की मछलियो मे बहुत कम अन्तर था जबकि मुन्नार वाली आबादी मे अन्तर पाया गया।
कार्यात्मक जीनोमिक्स
अजैविक और जैविक तनाव के लिए सहनशीलता जीन का मूल्यांकन स्नो ट्राउट में ठंड दशानुकूलन के संभावित तंत्र के प्रभाव को समझने के लिए आयोजित किया गया।
सनी ट्राउट और बरेलियस बेंडेलिसिस में ठंड दशानुकूलन के समय दोनों प्रजातियों के रक्त प्लाज्मा में ग्लिसरॉल के उच्च संचय शुरू हो गया। प्लाज्मा में ग्लिसरॉल संचय जिगर में एंजाइम में परिवर्तन के साथ जुड़ा होना पाया गया
अजैविक तनाव के सापेक्ष स्नो ट्राउट के GAPDH जीन की अभिव्यक्ति प्रोफ़ाइल का अध्ययन किया गया। पानी का तापमान 4-5°C तक कम करने से ग्लिसरॉल-3-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (GAPDH) जीन का संचय होता है और यह मात्रा माँसपेशियों मे सबसे अधिक पायी गयी।
सूचना पट्ट